चमोली हादसा: नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि, बचाव अभियान रुका
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने से पांच दिन पहले नदियों में अचानक आई बाढ़ ने 36 लोगों की जान ले ली है। वहीं, 168 अब भी लापता हैं। सुरंगों में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश में एनडीआरएफ और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की टीमें दिन-रात काम कर रही हैं। हालांकि, तपोवन हाइडल परियोजना स्थल पर सुरंगों में खुदाई करने का कोई फायदा नहीं है। गुरुवार को, जब यहां सुरंग की खुदाई की जा रही थी, तब धौलीगंगा नदी का पानी अचानक बढ़ने लगा, जिसके कारण सुरंग खोदने का काम रोकना पड़ा।
बता दें कि पिछले चार दिनों से तपोवन और ऋषि गंगा स्थित सुरंगों में बचाव अभियान चलाया जा रहा है। दरअसल, इन दोनों जगहों पर बिजली उत्पादन परियोजनाएं चल रही थीं। हालांकि, रविवार को अचानक आई बाढ़ ने नदियों के जल स्तर को बढ़ा दिया और पानी के साथ दोनों सुरंगों में भारी गाद जमा हो गई। इसके कारण दोनों जगहों पर फंसे लोगों को निकालने में काफी कठिनाई हो रही है।
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि गुरुवार दोपहर 2 बजे तपोवन में सुरंग की खुदाई के दौरान धौलीगंगा नदी का पानी बढ़ने लगा। इस कारण बचाव स्थल को खाली करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने यह नहीं बताया कि नदी का पानी कितना बढ़ा है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट है कि धौलीगंगा खतरे के निशान (21 मीटर) से ऊपर बह रही है।
दूसरी ओर, ITBP के प्रवक्ता विवेक पांडे ने एक मीडिया समूह को बताया कि नदी में जल स्तर बढ़ने के कारण निचले इलाकों और सुरंगों में लगी खुदाई, ड्रिलिंग मशीन और बिजली जनरेटर को तुरंत हटा दिया गया। एहतियात के तौर पर ऋषिगंगा परियोजना स्थल पर एक पुलिस दल तैनात किया गया और स्थल को खाली कराया गया। 50 से अधिक एनडीआरएफ और बीआरओ के जवान यहां काम कर रहे थे। इसके बाद नदी के जल स्तर की निगरानी के लिए ड्रोन की मदद लगातार ली जा रही थी।
आईटीबीपी के प्रवक्ता ने कहा कि नदी का जल स्तर कम होने के बाद, ऋषिगंगा पर बचाव अभियान शाम करीब 4.30 बजे फिर से शुरू किया गया। तपोवन साइट की बचाव टीम के लिए, यह दिन की खुदाई में दूसरा बड़ा ब्रेक था। सुरंग में जमा गाद के कारण यहां राहत कार्य में समस्या आ रही है।
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