अरे रुको, क्या यह अच्छा होगा अगर मैं माइक बंद कर दूं? एंकर ने किसान समर्थक पैनलिस्ट को चुप कराया
जब टीवी डिबेट के दौरान किसानों की तरफ से पेश होने वाले पैनलिस्ट बाहर बोल रहे थे, तो एंकर ने कहा, “अरे रुको, अगर मैं माइक बंद कर दूं तो मुझे अच्छा लगेगा।” दरअसल, किसानों की ओर से पैरवी कर रहे राजनीतिक विश्लेषक अजय वर्मा से पूछा गया कि अगर किसान आंदोलन 68 करोड़ किसानों का है, तो डिस्कस वाले दिन 68 लाख लोगों का क्यों नहीं।
यह सवाल भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने अजय वर्मा से किया। फिर जब अजय ने जवाब देना शुरू किया, तो एंकर ने माइक बंद करने की धमकी देकर उसे चुप करा दिया। बहस में राजनीतिक विश्लेषक रमणिक मान ने शिरोमणि अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा से पूछा कि कृषि कानून का मसौदा तैयार करते समय आप केंद्र सरकार के साथ थे, अब कानून के खिलाफ आंदोलन चल रहा है, आप उनके साथ हैं, आपके शिरोमणि अकाली दल के दर्शन क्या हैं। सिरसा ने कहा कि वह पंजाब और देश के किसानों के साथ है।
गौरतलब है कि किसान दो महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आंदोलनकारी बताया हो, लेकिन उन्हें आंदोलनकारी होने पर गर्व है। क्योंकि उनके पूर्वजों ने आंदोलन की मदद से देश को आजादी दिलाई थी। अब सरकार अपनी दृढ़ता के कारण किसान आंदोलन खड़ा कर रही है।
अगर किसान आंदोलन 68 करोड़ किसानों का है, तो डिस्कस ब्लॉक के दिन 68 लाख लोग क्यों नहीं: भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने राजनीतिक विश्लेषक अजय वर्मा को बताया
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उन्होंने कहा कि यह सरकार का अड़ियल रवैया है, जिसके कारण यह आंदोलन लंबा हो रहा है और आंदोलनकारी पैदा हो रहे हैं। एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के बारे में उन्होंने कहा कि केवल बयान से किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। पहले भी इस तरह के बयान दिए गए थे, लेकिन किसानों को तभी फायदा होगा, जब एमएसपी खरीद की गारंटी के लिए कानून बनाया जाए।
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